सब कुछ वैसा ही है -
धुप उतनी ही गरम है
शामें उमस भरी और हवा नम है
सडकों पर कारें, बसें और वाहन हैं
ट्राफिक लाइट है - और उनके उल्लंघन को आतुर ड्राईवर भी वैसे ही हैं
ऑफिस है - फाईलें हैं,
काम अब भी आखिरी मिनटों में ही ख़त्म होता है
उदास सुबहें और बेचैनी से भरे दिन हैं
शाम में खेल है - और थकावट में डूबने को आतुर तन है
जिम की निर्जीविता है - स्विम्मिंग की उमंग है
रात की उकताहट है और इन्टरनेट की आवारगी है
नींद की ख्वाहिश फिर भी बाकी है।
माँ से बातें करने की इच्छा है
कुछ पुराने दोस्तों से मिल पाने की उम्मीद अब भी बाकी है
परिवर्तन एक निरंतरता है -
सब कुछ वैसा ही है।