तुम्हारा जाना
एक एहसास भर नहीं
तमाम संभावनाओं का व्यतिक्रम था
तुम्हारा होना
मेरी रिक्तता का आकलन ही नहीं
मेरी विवशता की सहमति भी है।
तुम्हारी गहरी आंखों से
मैं नजरें भले ही चुरा लूँ -
फ़िर भी डूबता चला जाता हूँ।
मेरे भाव शायद कभी प्रेषित ना हो पायें
मेरी मुस्कुराहटें हमेशा की तरह 'स्किन डीप' समझी जाए
मेरे स्वार्थ कभी भी छिपे ना रह पाए
फ़िर भी मेरा सच सिर्फ़ इतना ही तो नहीं।